Tuesday, September 27, 2016

पितृपक्ष


जब इंसान मर जाता है - रिश्ते ज़िंदा रहते हैं , जो ज़िंदा रह गया वो मरे हुए का श्राद्ध / पिंडदान करता है ।
लेकिन जब रिश्ते मर जाएँ और दोनो तरफ़ इंसान ज़िंदा रह जाए ...इसका श्राद्ध कौन करे ...इसका पिंडदान कौन करे ..और कर्मकांड कहता है - जिनका श्राद्ध / पिंडदान नहीं हुआ ...वो बेचैन आत्माएँ भटकती रहती हैं ...नए शरीर में भी पूर्व जन्मों की यादों को लाती हैं ...
पर ...श्राद्ध करे भी तो कौन करे  ...सारा बोझ वक़्त अपने कंधे उठा लेता है ...
कभी किसी इंसान को मरे हुए रिश्ते का बोझ उठाते देखा है ...

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