Tuesday, September 27, 2016

भारत में स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या 8 करोड़

भारत में स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या आठ करोड़ से भी ज्यादा है। जो यह बताने के पर्याप्त है कि स्थिति काफी गंभीर है। हम और आप अपनी असल ज़िंदगी में रोज़ाना ऐसे बच्चों से मिलते होंगे जो स्कूल से बाहर होटलों में काम करते हुए, जानवरों को चराते हुए या फिर परिवार के साथ शहरों में काम करते हुए दिखाई देते हैं।

वहीं बहुत से बच्चे गाँव और गली मोहल्लों में दिनभर घूमते रहते हैं। या फिर परिवार के साथ खेतों पर काम करने जाते हैं। या फिर बाज़ार में सब्जी बेजने या फिर जंगल में लकड़ियां काटने के लिए जाते हैं।

उपरोक्त कारणों से बच्चे रोज़ाना स्कूल नहीं जा पाते हैं। आइए ऐसे कारणों पर एक नज़र डालते हैं –

भारत में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का मजबूत ढांचा न होना एक प्रमुख कारण है। इसके कारण समाज में पढ़ाई की जो संस्कृति और माहौल बनना चाहिए, वह नहीं बन पाता है। ऐसी स्थिति में शिक्षा के बारे में लोगों की सोच में जो बदलाव आना चाहिए, वह नहीं हो पाता। जिसका असर बार-बार अनेक रूपों में सामने आता है।बच्चे परिवार के लोगों के साथ खेतों पर काम करने जाते हैं।जब घर के लोग मजदूरी करने या खेतों पर काम करने के लिए जाते हैं तो वे घर पर छोटे बच्चों की देखरेख करते हैं।बाज़ार में सब्जी बेचने के काम में परिवार के सदस्यों के साथ जाना।होटल और दुकानों पर काम करना।जानवरों को चराने के लिए ले जाना।कपास और अन्य कामों में लगना जहाँ बच्चों से काम करवाया जाता है।जंगल से लकड़ियां काटने के लिए जाना।परिवार का बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूक न होना।परिवार के आपसी झगड़ों की वजह से भी बच्चे का नियमित स्कूल आना प्रभावित होता है।पढ़ना ना सीख पाना और स्कूल में पिटाई भी बच्चों के स्कूल न आने की एक बड़ी वजह है।पैसे को पढ़ाई से ज्यादा तरजीह देने वाली स्थिति भी बच्चों की पढ़ाई छूटने की एक अहम वजह है। इस वजह से बहुत से बच्चे टीसी लेकर काम करने चले जाते हैं या फिर परीक्षाओं के समय आकर परीक्षा दे देते हैं।आठवीं तक पास करने वाली नीति के कारण भी बच्चों का नियमित स्कूल आना प्रभावित हुआ है। क्योंकि अभिभावकों को लगता है कि अगर बच्चा स्कूल नहीं जाता है तो क्या हुआ? नाम तो कटेगा नहीं। फिर फेल भी नहीं होना है तो उसे स्कूल भेजने का क्या फायदा है।कम उम्र के बच्चों का नामांकन भी बच्चों के नियमित स्कूल न आने का एक प्रमुख कारण है।स्कूलों में काम की मॉनिटरिंग करने वाले सरकारी स्टाफ की कमी है। अगर किसी स्कूल की शिकायत होती भी है तो कोई कार्रवाई नहीं होती। क्योंकि शिक्षक अपनी राजनीति पहुंच का इस्तेमाल करके चीज़ों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं। इसे शिक्षा के क्षेत्र में राजनीतिक दखल के रूप में देखा जा सकता है।

इन कारणों की सूची काफी लंबी है। जो सामाजिक परिवेश और परिस्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। ऐसे अन्य कारण आप भी बता सकते हैं जिसके कारण बच्चे पढ़ाई से वंचित हो जाते हैं। या फिर वे स्कूल में दाखिला होने के बावजूद नियमित स्कूल नहीं आ पाते।

Source -education mirror

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