आलोचकों की दृष्टि में ‘गुलेरी’ –
चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की अमर कहानियों की भूमिका में डॉ० अमरनाथ झा ने लिखा है – ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी में तो विशेषकर ऐसी विलक्षणता है की – ‘एतद्कृत कारणे किमन्यथा रोदति ग्रावा’.
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इस कहानी की उच्छ्वसित प्रशंसा की है और मर्यादा में रहकर प्रेम की व्यंजन करने वाली अद्वितीय कहानी कहा है.
डॉ० नगेन्द्र ने लिखा है कि– ‘गुलेरी जी की कहानियों का प्रमुख आकर्षण तो रस ही है. यह रस उथली रसिकता या मानसिक विलासिता का तरल द्रव्य नहीं है. जीवन के गंभीर उपभोगों से खींचा हुआ गाढ़ा रस है.’
आचार्य नन्द दुलारे वाजपेयी के अनुसार – ‘यों ‘उसने कहा था’ में घटनाएं भी हैं, संयोग भी है और रोमांटिक दृष्टि भी है. लेकिन उन सबका संघटन इस वैशिष्ट्यके साथ हुआ है और प्रेम, कर्तव्य और आत्मबलिदान का पारस्परिक संघर्ष का इतना असाधारण और सम्वेदनात्मक रूप में हुआ है कि कहानी नयी हो जाती है.’
डॉ० श्याम सुन्दर दास ने गुलेरी के साहित्य को अमूल्य रत्न माना है क्योंकि गुलेरी ने अपनी कहानियों में पात्रों के भाव, परिस्थिति में सजीवता का समावेश किया है.
मधुरेश ने लिखा है कि – ‘उसने कहा था’ वस्तुतः हिंदी की पहली कहानी है, जो शिल्प विधान की दृष्टि से हिंदी कहानी को एक झटके में प्रौढ़ बना देती है.प्रेम, बलिदान, और कर्तव्य की भावना से अनेक कहानियाँ लिखी गयी है किन्तु यह कहानी अपनी मार्मिकता और सघन गठन के कारण आज भी अद्वितीय बनी हुयी है. हिंदी कहानी के प्रारंभ काल में ही ऐसी श्रेष्ठ रचना का प्रकाशित होना एक महत्वपूर्ण घटना है.’
पं० विनोद शंकर व्यास ने मधुकरी की भूमिका में लिखा है कि- ‘1915 ई० में ‘उसने कहा था’ कहानी ने विद्वानों को चकित कर दिया.... हिंदी कहानियो में आज तक इसके जोड़ की दूसरी कहानी नहीं निकली.... इस कहानी का शीर्षक ही बहुत आकर्षक है. हिंदी में यह पहली वास्तविक कहानी है. इस कहानी के सब अंग वर्तमान में है जो इस कहानी को पढ़ेगा वह जीवन भर इसे भूल नहीं पायेगा.’
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